गीता सभी पढ़ना चाहते हैं पर संस्कृत के विद्वान तो सभी हैं नहीं । वैसे तो हिंदी में कितनी ही टीकाएं हैं, जिन्हें पढ़ा जा सकता है, परंतु कविता पढ़ने में जो आनंद है, वह गद्य पढ़ने में कहां? फिर पद्य गाए भी जा सकते हैं और याद भी अतिशीघ्र हो जाते हैं। गीता काव्य-माधुरी में गीता के सभी 700 मूल संस्कृत श्लोकों का हिन्दी श्लोकों में पद्यानुवाद है। एक-एक श्लोक का एक-एक पद्य है और सभी पद्य आठ मात्राओं की ताल में नपे-तुले हैं, ढले हैं । इसीलिए पढ़ने और गाने में अत्यंत मनोरम हैं । डॉ. राजीव कृष्ण सक्सेना के इस पद्यानुवाद को पढ़िए और आनंद उठाइए। अपने विचार हमें अवश्य लिख भेजिएगा । मैं ही प्रेरक और शरण हूँ, जनक मित्र स्वामी और भर्ता । मैं ही धर्ता हूँ दृष्टा हूँ, प्रलय, अमर उत्पादक जग का ।। पार्थ तपाता हूं मैं भू को, वर्षा को मैं ही बरसाता । असत और सत मुझमें, मैं ही जीवन और मरण का दाता ।।

Titel
Geeta Kavya Madhuri
EAN
9789358966770
Format
E-Book (epub)
Hersteller
Veröffentlichung
23.06.2025
Digitaler Kopierschutz
Adobe-DRM
Dateigrösse
4.77 MB